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लेखनी प्रतियोगिता -30-Jun-2023 एक बकरे की अरदास

एक बकरे की अरदास

चाहे काट डालो
चाहे मार डालो
चाहे बलि चढ़ा दो
चाहे पका के खा लो
मैं सब कुछ झेल जाऊंगा
लेकिन दीवाली के पटाखे
नहीं झेल पाऊंगा साहब ।
उनसे मुझे बहुत डर लगता है
मरने से मैं डरता नहीं हूं पर
पटाखों के शोर से परेशान होता हूं
ये पेटा वाले मेरे शुभचिंतक हैं
ये पटाखों के शोर से बचा लेते हैं
खुद इतना शोर मचाते हैं कि
सरकार के कान फोड़ डालते हैं
पर इन बेचारों को अपना पेट भी भरना है
तानाशाह सरकार से रात दिन लड़ना है
इसलिए बकरा, मुर्गा खा लेते हैं
पशुओं की कितनी चिंता करते हैं
अगर ये लोग ना होते तो हम पशुओं का क्या होता ?
शायद हमें पटाखों के शोर में ही मरना पड़ता
फिर "कुरबानी" का क्या होता ?
इन पेटा वालों का पेट कैसे भरता ?
क्रिकेट मैच पर चलने वाले पटाखों से ऐतराज नहीं है
शादियों में होने वाली आतिशबाजी से कोई मलाल नहीं है
वैसे भी तो रोज ही कटते हैं करोड़ों बकरे यहां
"हलाल" होने से भी हमें इन्कार नहीं है
पर ये दीवाली पर पटाखों का शोर जीने नहीं देता
वातावरण में फैला प्रदूषण चैन लेने नहीं देता
घुट घुट के मरने से अच्छा है हलाल होना
दीपावली के दीयों से "जन्नत का कारवां" रोशन नहीं होता
बस एक ही निवेदन , एक ही प्रार्थना है
खूब काटो, पर पटाखों से नहीं मारना है

श्री हरि
29.6.23


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10 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 06:37 AM

👏👌

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Mohammed urooj khan

01-Jul-2023 06:41 PM

Very nice sir 👌👌

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Abhinav ji

01-Jul-2023 08:12 AM

Very nice 👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

01-Jul-2023 10:00 AM

🙏🙏🙏

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